जहां आज भी आल्हा ऊदल आते है मां की पूजा करने (मैहर देवी मन्दिर)

Date: April 17th, 2025

Page View: 128

जहां आज भी आल्हा ऊदल आते है मां की पूजा करने (मैहर देवी मन्दिर)

जहां आज भी आल्हा ऊदल आते है मां की पूजा करने (मैहर देवी मन्दिर)

मध्य प्रदेश के मैहर में स्थित मंदिर जो की हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। यह स्थान 108 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ भी है। जिसमें मान्यता के अनुसार माता सती के गले का हार इसी स्थान पर गिरा था।


यह स्थान विंध्य तथा कैमूर की पर्वत श्रेणियों में 600 फीट ऊंचाई पर स्थित एक मंदिर है। जहां देश-विदेश से लोग माता के दर्शन के लिए खींचे चले आते हैं।

यह स्थान न केवल माता के दर्शन के लिए बल्कि यहां प्रचलित अनेक प्रकार की कहानी, किवदंतियां व प्रत्यक्ष में होने वाली घटनाओं की वजह से चर्चा का विषय बना रहता है, जिसे लोग आज तक समझ नहीं पाए।

शारदा देवी मंदिर

मंदिर के भीतर का रहस्य

मैहर में अन्य प्रसिद्ध स्थान

मैहर आने के लिए यातायात सुविधाएं

निष्कर्ष

 


शारदा देवी मंदिर

 यह माता का मंदिर त्रिकूट पर्वत पर शहर के मध्य पांच किलोमीटर ऊपर स्थित है। यहाँ माता शारदा की काले रंग में पत्थर से निर्मित प्रतिमा विराजित हैं, तथा साथ ही नरसिंह भगवान की प्रतिमा भी मंदिर प्रांगण में स्थित है।

सामान्यतः दर्शनार्थी मंदिर जाने के लिए 1063 सीढ़ीयो का प्रयोग करते हैं। जिसके लिए सुबह 4:00 बजे से ही दर्शनार्थी लाइन में लगकर माता के दर्शन की प्रतीक्षा करते हैं।

हाल ही में शुरू हुए रोपवे के द्वारा भी माता के मंदिर जाया जा सकता है। इसका किराया महज ₹150 है।

मंदिर में प्राप्त शिला लेखों के अनुसार मंदिर में प्राचीन पूजा पद्धति में बकरी की बलि देने का भी प्रावधान था।

 

 मंदिर के भीतर का रहस्य

 मंदिर जो की सुबह प्रातः 4:00 बजे खोला जाता है, तो आश्चर्यजनक रूप से वहाँ पहले ही पूजा के प्रमाण व ताजे फूल माता के चरणों में अर्पित दिखते हैं; जबकि रात्रि में मंदिर बंद करने से पहले पुजारी द्वारा पुराने सभी फूलों को हटा लिया जाता है।

 यह रहस्य आज भी रहस्य ही है, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार आल्हा और उदल जिन्हें कि माँ शारदा के द्वारा अमरत्व का वरदान प्राप्त था वे आज भी मंदिर खुलने से पहले माता के दर्शन व पूजन के लिए वहाँ प्रत्येक दिन आते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप वहाँ ताजे फूल सुबह मिलते हैं।

 स्थानीय लोगों के अनुसार आल्हा और उदल का संबंध माता शारदा देवी मंदिर से था। वे माता के अनन्य भक्त थे जिन्हें अमरत्व का वरदान भी प्राप्त था। कहा जाता है की आल्हा और उदल पृथ्वीराज चौहान के समकालीन थे।

 

मैहर में अन्य प्रसिद्ध स्थान

  1. आल्हा उदल का अखाड़ातालाब

 यह स्थान मैहर देवी मंदिर से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो कि मंदिर की ऊँचाई से देखने पर स्पष्ट दिखाई पड़ता है। यहाँ मान्यता के अनुसार आल्हा उदल प्रत्येक दिन कुश्ती का अभ्यास करते थे, तथा यहाँ पास में एक तालाब भी है। आज भी प्रत्येक दिन यहाँ पहलवान कुश्ती का अभ्यास करने इसी स्थान पर आते हैं।

 

  1. प्राचीन गोला मठ महादेव मंदिर

 यह मंदिर पूर्वमुखी मंदिर है, जिसका निर्माण नागर शैली में किया गया है। यह मंदिर पूर्ण रूप से पत्थरों से निर्मित मैहर में शिव जी का प्राचीन मंदिर है।

 

  1. बड़ा अखाड़ा मंदिर

 इस मंदिर का निर्माण 2002 में किया गया था। यह मंदिर भी भगवान शिव को समर्पित है यहाँ पर 12 ज्योतिर्लिङ्ग जो की प्रतीकात्मक रूप से भगवान शिवजी के स्वरूप है, इनकी स्थापना इसी मंदिर में की गई है। साथ ही में यहाँ 101 छोटे शिवलिंगों को भी स्थापित किया गया है

 

  1. बड़ी माई मंदिर

 यह मंदिर मैहर के सतना रोड पर स्थित है, जो की बड़ी माई मंदिर के नाम से विख्यात है।

 

मैहर आने के लिए यातायात सुविधाएं

 हवाई मार्ग - मैहर के सबसे नजदीक एअरपोर्ट खजुराहो है, जो कि मैहर से 106 किमी की दूरी पर स्थित है इस एअरपोर्ट पर आने के बाद टैक्सी के द्वारा आसानी से मैहर देवी मंदिर आया जा सकता है।

रेलवे मार्ग - मैहर माता के दर्शन के लिए सबसे सुविधाजनक मार्ग रेलवे स्टेशन है जो कि महज मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर है। जहाँ भारत भर के मुख्य स्टेशनों से रेलगाड़ीयॉं चलती है।

 सड़कमार्ग - मैहर जोकि मध्य प्रदेश में स्थित है। यहाँ सड़क मार्ग के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है अथवा यहाँ आने के लिए समय - समय पर राज्य परिवहन की बसें चलती रहती है।

 

मैहर घूमने के लिए बेहतर समय

 मैहर में माता के दर्शन के लिए दर्शनार्थी सालभर हर समय में आते हैं, लेकिन बात की जाए तो यहाँ सर्दी के मौसम में जो कि अक्टूबर से मार्च के बीच का रहता है में आना सबसे ज्यादा बेहतर है, क्योंकि इस समय मौसम पर्यटन के अनुकूल बना रहता है। अन्यथा साल के बाकी समय में यहाँ गर्मी बहुत अधिक मात्रा में पड़ती है।

 

निष्कर्ष

 यह स्थान धार्मिक व पर्यटन दोनों दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, जो की दिल्ली से लगभग 800 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यदि घूमने के दृष्टिकोण से 1 दिन का समय है, तो यह स्थान सबसे बेहतर है जो कि अपने आप में आस्था संस्कृति सभ्यता व प्रकृति का अनूठा मिलाजुला उदाहरण है।

Explore Categories Select from a variety of themed experiences.

Travel Enquiry

Need a custom tour? Contact us.
bots