ग्वालियर किला जहां दफन है, एक बड़े खजाने का राज

Posted On : 2024-03-02

ग्वालियर किला जहां दफन है, एक बड़े खजाने का राज

ग्वालियर की प्रमुख पर्यटनीय स्थलों में से एक ग्वालियर का किला हमेशा से ही चर्चा का विषय बना रहता है। चाहे वह इसके निर्माण करने वाले शासकों के बारे में हो या फिर इसके अंदर एक गुप्त तहखाने में रखें करोड़ों अरबों रुपयों के खजाने से संबंध में लेकिन यह किला अपनी खूबसूरती, वास्तुकला और उस समय इस तरह के निर्माण का एक अनूठा उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

 यह किला मध्यप्रदेश की ग्वालियर जिले में गोपांचल जिसका अर्थ गोप + अचल = गोपांचल है नामक पर्वत पर स्थित है।  यह ग्वालियर की सबसे प्रमुख इमारतों में से एक है जो इस पर्वत पर लगभग 300 से 400 मीटर ऊँचाई पर बना हुआ है। सर्वप्रथम इसके निर्माण के संबंध में प्रमाण राजा मान सिंह के मिलते हैं। जिन्होंने यह किले का निर्माण नौवीं शताब्दी में करवाया। जिसके बाद अलग-अलग राजाओं ने अपने कालखंड में इसको सजाया संवारा व विकसित किया।

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ग्वालियर किले की निर्माण वास्तुकला

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ग्वालियर किले के भीतर अन्य प्रमुख इमारतें

ग्वालियर किले में खजाने का रहस्य

ग्वालियर का अन्य राज्यों से यातायात जुडाव

 

ग्वालियर किले की निर्माण वास्तुकला

 यह किला लाल बलुआ पत्थर से निर्मित एक अभेद किला है जिसमे जाने के लिए दो रास्ते हैं। जिसमे प्रथम रास्ता ग्वालियर गेट है जिसमे से केवल पैदल ही किले के अंदर प्रवेश किया जा सकता है व दूसरे रास्ता जो की उरवई गेट है। जिससे वाहन के माध्यम से भी प्रवेश किया जा सकता है जिसमें एक ऊंची पतली व ढलाननुमा जगह से वाहन को ले जाना पड़ता है।

 इसी रास्ते के दोनों ओर के चट्टानों पर जैन धर्म के तीर्थंकरों की बड़ी ऊंची व सुंदर तराशी हुई प्रतिमाएं बनी हुई है

ग्वालियर किले के भीतर अन्य प्रमुख इमारतें

 सास बहू मंदिर

  सास बहू मंदिर या सहस्त्रबाहु मंदिर जो की ग्वालियर किले के भीतर ही स्थित हैं; जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इस का निर्माण राजा महिपाल ने अपने शासन के दौरान कराया।

 सहस्त्रबाहु मंदिर जो की अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं यहाँ की छोटी बड़ी बारीक नक्काशियां पर्यटकों को आकर्षित करती है।

 तेली का मंदिर

 यह मंदिर दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली में बना उत्तर भारत में इकलौता मंदिर है। जिसका निर्माण नौवीं शताब्दी में प्रतिहार राजा मिहिर भोज ने कराया था।

 कहा जाता है की राजा ने तेल व्यापारियों से एकत्रित किए हुए धन से इस मंदिर का निर्माण कराया जिसकी वजह से इसका नाम तेली का मंदिर रखा गया।

चतुर्भुज मन्दिर

 यह मंदिर भी ग्वालियर किले के भीतर ही स्थित हैं। यह मन्दिर चार स्तंभों पर टिका हुआ हिंदू मंदिर है, जिसकी दीवारों पर सर्वप्रथम ज़ीरो (शून्य) का अभिलेख देखने को मिलता है जो कि अभी तक का सबसे प्राचीनतम प्रमाण है

 

 सिंधिया स्कूल

 इस किले के भीतर ही एक स्कूल भी है जिसका संबंध सिंधिया राजघराने से हैं। विद्यालय में आज भी देश के कोने-कोने से छात्र व छात्राएं अध्ययन के लिए आते हैं। यह सिंधिया स्कूल अपने अध्ययन के लिए हमेशा से ही चर्चा का विषय रहता है व यहाँ की फीस भारत की सबसे महंगे स्कूलों में से एक है।

 

गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ साहिब

सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद सिंह साहब को जहांगीर ने बंदी बनाकर ग्वालियर किले में रखा था लेकिन जहांगीर को एक रूहानी हुक्म के बाद उन्हें छोड़ना पड़ा इसके बाद हरगोबिंद सिंह साहब ने अपने साथ 52 राजाओं को अपने साथ वहां से ले गए इसके बाद कालांतर में यहां पर एक गुरुद्वारे का निर्माण कराया गया किसकी वजह से गुरूद्वारे का नाम दाता बंदी छोड़ साहिब रखा गया।

यहां यात्री निवास के साथ-साथ, लंगर आदि की सुविधा भी उपलब्ध है।

 

 मान मंदिर पैलेस

यह हिस्सा महल के उत्तर पूर्वी भाग में बना है। जिसका निर्माण 15 वीं शताब्दी में मान सिंह तोमर ने करवाया था। यह स्थान बहुत से आश्चर्यजनक चीजो से भरा है।

 इसके नजदीक ही जौहर कुंड भी है जहाँ महल में रहने वाली स्त्रियां मुस्लिम आक्रांताओं के डर से कुंड में कूद कर अपने आपको जौहर कर लेती थी।

 

ग्वालियर किले में खजाने का रहस्य

ग्वालियर किले के महाराजा सिंधिया ने खजाने को किले के भीतर एक गुप्त तहखाने में रखवाया जिसका नाम ‘गंगाजली’ रखा गया। यह तहखाना खोलने के लिए एक कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता था। जिसे राजा की मृत्यु के पश्चात कोई नहीं जान पाया और यह राज उनके साथ ही चला गया।

आज भी सरकारी व पुरातत्व विभाग ग्वालियर किले के अंदर ख़ज़ाने की खोज बीच-बीच में करते रहते हैं, लेकिन इसका राज अभी तक राज ही बना हुआ है।

 

ग्वालियर का अन्य राज्यों से यातायात जुडाव

यदि आप ग्वालियर घूमना चाहते है तो ग्वालियर सड़क रेल व हवाई माध्यम तीनों से जुड़ा हुआ है। यहाँ से दिल्ली की दूरी महज 350 किलोमीटर ही है।

 रेल मार्ग:- ग्वालियर आने के लिए बहुत सी ट्रेने दिल्ली व आसपास के राज्यों से आसानी से मिल जाती है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस, ग्वालियर एक्सप्रेस व पुणे ग्वालियर एक्सप्रेस प्रमुख ट्रेनें हैं जो अन्य राज्यों को ग्वालियर से जोड़ती है।

हवाई मार्ग:- विजयाराजे सिंधिया एअरपोर्ट जो ग्वालियर से महज 10 किलोमीटर दूर स्थित है यहाँ से दिल्ली आदि के लिए सीधी फ्लाइट्स मिल जाती है।

सड़क मार्ग :- दिल्ली से ग्वालियर जाने के लिए यमुना एक्सप्रेस वे के द्वारा आसानी से आगरा आया जा सकता है जिसके बाद वहां से आसानी से ग्वालियर पहुंचा जा सकता है।

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