मंदिर के दान से चलती है राज्य की अर्थव्यवस्था (तिरुपति बालाजी मंदिर)

मंदिर के दान से चलती है राज्य की अर्थव्यवस्था (तिरुपति बालाजी मंदिर)

Posted On : 2024-04-16

मंदिर के दान से चलती है राज्य की अर्थव्यवस्था (तिरुपति बालाजी मंदिर)

तिरुपति बालाजी मंदिर हिंदू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक मंदिरों में से एक हैं यह मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर दर्शन के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार तिरुमला पहाड़ी में मंदिर के स्थान पर भगवान विष्णु ने वामन अवतार में धरती पर अवतार लिया और राजा बलि का विनाश किया था। मंदिर में प्रवेश करने के लिए श्रद्धालुओं को सुरक्षा जांचों से गुजरना पड़ता हैं।

 

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 तिरुपति बालाजी मंदिर का प्राचीन इतिहास

 मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। मानताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने वामन अवतार में पृथ्वी पर अपना दर्शन दिया था। राजा बलि देवताओं को पराजित करके स्वर्ग का शासक बन गया जिसके बाद देवताओं ने समस्या समाधान के लिए भगवान विष्णु से मदद मांगी तब वामन अवतार में भगवान विष्णु ने तिरुपति बालाजी के रूप में आकर राजा बलि से तीन चरणों की भूमि की मांग रखी तब राजा बलि ने इन मांगों को मान लिया और तीन चरण भूमि दान दे दिया।

इस घटना के बाद भगवान विष्णु जी ने यहां पर अपना निवास स्थान बनाया जिसे तिरुपति बालाजी मंदिर के रूप में जाना जाता हैं। इस मंदिर में भगवान विष्णु की बालरूप श्री वेंकटेश्वर मूर्ती के रुप में पूजा की जाती हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर अनेकों शासकों और साम्राज्यों के द्वारा इसको सुरक्षित और संरक्षित किया गया हैं।

 

 

तिरुपति बालाजी मंदिर के ऐतिहासिक महत्व

तिरुपति बालाजी मंदिर भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर हैं और वैदिक काल से ही पूजा-अर्चना का मुख्य केंद्र रहा हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर एक पहाड़ी क्षेत्र में बना हुआ है। यह पर्वतीय क्षेत्र चंदनवाडी नाम से प्रसिद्ध हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर विश्व के सबसे ज्यादा भक्त तिरुपति बालाजी के दर्शन और प्रसाद ग्रहण करने साथ ही आराधना के लिए आते हैं, और यह संख्या लाखों में हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति पर सोने का मुखूट स्थापित हैं।

 

 

 तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन का समय

तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन प्रातः 3:00 बजे शुरू होकर शाम 6:00 बजे तक होता हैं।

यहां दर्शन के समय में धार्मिक अवसरों, और त्योहारों के समय बदलाव होता रहता है। आपको मंदिर आने से पूर्व ऑफिशियल वेबसाइट से वर्तमान समय की जांच करनी चाहिए।

 

तिरुपति बालाजी मंदिर की अद्भुत वास्तुकला

तिरुपति बालाजी मंदिर निर्माण में दक्षिण भारतीय वास्तु कला का योगदान प्रमुख रूप से दिखाई पड़ता है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तु कला को देखते हुए ही बनाया गया है, जिसमें द्रव्यस्थंभ (द्वारपालक), गोपुरम (प्रमुख प्रवेश द्वार) और विमान (मंदिर की शिखर) आदि शामिल है।

विमान: यह मंदिर के सबसे ऊपर का भाग होता है जिसमें विभिन्न देवी देवताओं की मूर्तियां बनाई गई है जो की मंदिर की शोभा को बढ़ता है, जो की दिखने में भी बहुत सुंदर प्रतीत होता है।

गोपुरम: गोपुरम दक्षिण भारतीय वास्तुकला में मंदिर के बाहर का प्रवेश द्वार होता है। तिरुपति बालाजी मंदिर में एक से ज्यादा गोपुरम स्थापित है। जिसमें मंदिर प्रवेश के समय सबसे प्रमुख व उसके साथ छोटे-बड़े कई गोपुरम मंदिर के गेट पर स्थित है। इसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा को उकेरा गया है।

द्रव्यस्थंभ: यह मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थापित किया जाता है जो की द्वारपाल के समान ही प्रतीत होता है जो की मंदिर के भीतर दर्शनार्थियों का स्वागत करता है।

 

 तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रमुख पर्व एवं त्योहार

1. ब्रह्मोत्सवयह तिरुपति मंदिर का सबसे बड़ा पर्व हैं। इसे ब्रह्मोत्सव भी कहा जाता हैं। इस पर्व को  नवंबर-दिसंबर में 9 दिनों तक मनाया जाता हैं। इन दिनों में तिरुपति बालाजी की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है व ब्रह्मोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

2. वैषाखोत्सवयह पर्व अप्रैल-मई के महीने में मनाया जाता हैं। इस दिन मंदिर के मूर्ति का पूजन वह रथ यात्रा का आयोजन भी होता है।

3. दीपावली: दीपावली हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहार में से एक त्यौहार है। इस दिन मंदिर को दीपों से सजाया जाता हैं व त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है।

यह कुछ विशेष पर्व त्यौहार है जिन्हें धूमधाम से तिरुपति बालाजी मंदिर परिसर में मनाया जाता है वह इसके अलावा भी साल भर में अनेक पर्वत त्यौहार मंदिर में मनाए जाते है, जिनमें लाखों की संख्या मे भक्तजन भाग लेते हैं।

 

 तिरूपति बालाजी दर्शन जाने के लिए सही समय

 तिरुपति बालाजी मंदिर के यात्रा के लिए मार्च-अप्रैल महीने सबसे बेहतरीन माने जाते हैं। इस समय मौसम काफी सुहावना और शांतिपूर्ण होता हैं इस समय आपका दर्शन का अनुभव काफी बेहतरीन होने वाला हैं।

 

मंदिर में आता है करोड़ों का चढ़ावा जिससे राज्य चलता है

तिरुपति मंदिर में आने वाले भक्त दिल खोलकर दान करते हैं। भक्त जन अपने सिर के बालों से लेकर शरीर के आभूषण भी दान कर करते हैं। कुछ भक्त किलो में सोना चांदी दान करते हैं और कई भक्त खूब पैसे का दान करते हैं इस मंदिर में हर महीने चढ़ाया जाने वाला चढ़ावा जानकर शायद आप चौंक जाएं। आपको बता दें इस मंदिर में हर महीने लगभग 54 करोड़ रुपए का चढ़ावा आता है।

सालाना तिरुपति बालाजी मंदिर में 650 करोड़ से ज्यादा चढ़ावा आता हैं। इस समय मंदिर के पास लगभग 1 हजार किलो सोना हैं  और 12 हजार करोड़ रुपए की एफडी साथ ही 1100 से अधिक अचल संपत्ति हैं। जो लगभग 8,088.89 एकड़ जमीन पर फैली हुई हैं इसमें कृषि भूमि और एसेट्स भी शामिल है।                      

 

तिरूपति बालाजी मंदिर कैसे पहुँचे

 

1. एयरपोर्ट

आप अपने नजदीकी एयरपोर्ट के माध्यम से तिरुपति एयरपोर्ट पहुंच सकते हैं। एयरपोर्ट से मंदिर लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर हैं। यहां से आप टैक्सी, बस या फिर ऑटोरिक्शा का उपयोग कर सकते हैं।

 

2. रेल मार्ग

तिरुपति रेलवे स्टेशन तिरुपति बालाजी मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर हैं। आप रेलगाड़ी से रेलवे स्टेशन पर पहुंच सकते हैं और फिर वहां से टैक्सी, ऑटोरिक्शा और बस का उपयोग करके मंदिर पहुंच सकते हैं।

 

3. सड़क मार्ग

तिरुपति मंदिर नेशनल हाईवे 71 पर स्थित हैं और तिरुपति मंदिर के लिए कई शहरों से बस सेवा उपलब्ध हैं। आप अपनी सुविधा अनुसार बस सेवा का उपयोग कर सकते हैं, और मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

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