दुनिया का सबसे वैभवशाली मंदिर जिसके द्वार खोलने से आज भी डरती है दुनिया (पद्मनाभस्वामी मंदिर)
पद्मनाभस्वामी मंदिर दक्षिण भारत के राज्य केरल के तिरुवनंतपुरम में स्थित है।
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यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। जहां भगवान विष्णु की शेषनाग पर लेटे हुए विश्राम अवस्था में मूर्ति विद्यमान है।
यह मंदिर अपने अंदर रखें अकूत संपत्ति जिसमें सोने व अन्य कीमती वस्तुएं शामिल है से प्रसिद्ध है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर
यह मंदिर द्रविड़ शैली में बना भगवान विष्णु का मंदिर है, जिसके ऊपर स्वर्ण निर्मित गोपुरम बनाया गया है। यह अपने आप में इस शैली में इकलौता मंदिर है, जो स्वर्ण गोपुरम के द्वारा बनाया गया है।
इसकी स्थापना संत विल्वमंगलम स्वामीयर ने की थी।
कालांतर में इसका पुनर्निर्माण त्रावणकोर के राजा मार्तंड वर्मा ने 18वीं शताब्दी में करवाया। मंदिर बनवाने के लिए नेपाल की गंडकी नदी से 12008 शालिग्राम पत्थरों को नेपाल से मंगवाया गया।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा पद्मनाभ स्वामी मन्दिर
मंदिर में भगवान की लेटी हुई विश्राम अवस्था में प्रतिमा विराजमान है, जिसे तीन दरवाजों से देखा जा सकता है।
दरवाजे के प्रथम भाग में भगवान विष्णु हाथ से शिवलिंग को स्पर्श करते हुए दिखाई पड़ते हैं।
दरवाजे के द्वितीय भाग से भगवान विष्णु के नाभि से निकलते हुए कमल में भगवान ब्रह्मा विराजित है।
तथा दरवाजे के तृतीय भाग से भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन होते हैं।
- मंदिर की अकूत संपदा
पद्मनाभस्वामी मंदिर जो की दुनिया का सबसे अमीर मंदिर है।
मंदिर के गर्भ में 6 तहखाने हैं, जिसमें पांच तहखानों को खोलने के पश्चात उसमें से अनुमानित 2 लाख करोड़ की संपत्ति का पता चला।
तहखाने में 18वीं शताब्दी निर्मित सोने के सिक्के लाखों की मात्रा में निकले जिसकी देखभाल राजा मार्तंड वर्मा की पीढ़ियां (शाही परिवार) करती आ रही है।
- मंदिर में तहखाने को लेकर विशेष मान्यता
मंदिर जो कि खजाने की वजह से मुख्य चर्चा का केंद्र बना रहता है। यहां 6 तहखानों में से पांच तहखानों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खोला गया; लेकिन (तहखाना B) को अभी तक नहीं खोला गया है
मान्यता है कि इस तहखाना को खोलने के पश्चात प्रलय जैसी स्थिति आ सकती है इसलिए इस दरवाजे को अभी तक बंद ही रखा गया है।
- मंदिर संपत्ति को लेकर विवाद
इंदिरा गांधी के प्रिवी पर्स कानून समाप्त करने के पश्चात शाही परिवार से मंदिर का नियंत्रण सरकार के द्वारा ले लिया गया।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने 3 जुलाई 2020 के फैसले से हाई कोर्ट के 2011 के फैसले को पलट दिया हुआ मंदिर का कार्यभार वापस से शाही परिवार को मिला।
- मंदिर में प्रवेश करने के नियम
मंदिर में प्रवेश करने से पहले पुरुषों को धोती व महिलाओं को साड़ी पहनना अनिवार्य है इसके बिना मंदिर प्रशासन मन्दिर प्रवेश की अनुमति नहीं देता है।
मंदिर के अंदर सुरक्षाकर्मी भी मंदिर नियमों का पालन कर धोती धारण करते हैं।
- पद्मनाभस्वामी मंदिर में परंपरा
साल में दो बार पद्मनाभ स्वामी की प्रतिमा को सुसज्जित हाथियों पर बिठाकर मंदिर के समीप अरब सागर के शंगुमुग्हम बीच पर स्नान कराया जाता है।
यह परंपरा इतनी मुख्य है कि इस दिन तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के आवागमन को भी रोका जाता है और इसी रास्ते से भगवान विष्णु की प्रतिमा को समुद्र किनारे तक लेकर आया जाता है।
तिरुवनंतपुरम का नाम भगवान विष्णु के नाग अनंत के नाम पर रखा गया है।
निष्कर्ष
तिरुवनंतपुरम आने के लिए भारत के अनेक राज्यों से ट्रेन तिरुवनंतपुरम आती है, यात्री बस व फ्लाइट के माध्यम से भी तिरुवनंतपुरम आ सकते हैं।
पद्मनाभ स्वामी मंदिर श्रद्धा कोतुहल के साथ-साथ आस्था का केन्द्र है। यहां दर्शनार्थी व पर्यटक भारत से ही नहीं विदेश से भी आते हैं।
पद्मनाभस्वामी मंदिर दक्षिण भारत के प्रमुख मंदिरों में एक है जहां भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कि जाती है।
यहां इस मंदिर में दक्षिण भारतीय परंपरा व पूजा पाठ का सामंजस्य अद्भुत रूप में देखने को मिलता है।